भाषा भारती (कक्षा 8वीं)
पाठ - 10
प्राण जाए पर वृक्ष न जाए
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-: अभ्यास :-
बोध प्रश्न
प्रश्न 1. निम्नलिखित शब्दों के अर्थ शब्दकोश से खोजकर लिखिए-
उत्तर-
रक्षक = रक्षा करने वाले;
ताम्रपत्र = ताँबे का पत्तर, स्मृति पत्र;
श्रद्धांजलि = मरने के बाद श्रद्धा प्रकट करने हेतु व्यक्त शब्द;
संवर्द्धन = वृद्धि, विकास;
शहीद = बलिदान;
प्रशस्ति = प्रशंसा;
उत्कृष्ट = उच्च कोटि का।
प्रश्न 2. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर संक्षेप में लिखिए-
(क) सैनिकों की कुल्हड़ी का सबसे पहले विरोध किसने किया?
उत्तर- सैनिकों की कुल्हाड़ी का सबसे पहले विरोध एक महिला अमृता देवी विश्नोई ने
किया। कुल्हाड़ी चलाना आरम्भ किए जाने पर अमृतादेवी विश्नोई पेड़ों से लिपट
गई।
(ख) अमृता देवी का नारा क्या था?
उत्तर- पेड़ों से लिपटकर वह कहती रही “सिर साँटे पर रूख रहे तो भी सस्तो जाण”। यही
अमृतादेवी का नारा था।
(ग) विश्नोई समाज की स्थापना किसने की थी?
उत्तर- विश्नोई समाज की स्थापना आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पहले सन् 1485 ई. में भगवान
जम्भेश्वर ने की थी।
(घ) हिरणों की रक्षा में कौन शहीद हुआ था?
उत्तर- सन् 1996 ई. में अक्टूबर माह में राजस्थान के चुरु जिले में
हिरणों की रक्षा करते हुए श्री निहालचन्द विश्नोई शहीद हुए थे।
(ङ) राजा ने पेड़ काटने की क्या सजा घोषित की?
उत्तर- राजा अभयसिंह ने सैनिकों के दुष्कृत्य के लिए क्षमा माँगी और
ताम्रपत्र पर राजा की आज्ञा को जारी किया गया कि विश्नोई गाँवों में कोई भी
पेड़ नहीं काटेगा। यदि काटेगा तो राजदण्ड का भागी होगा।
प्रश्न 3. निम्नलिखित प्रश्नों के उत्तर विस्तार से लिखिए-
(क) जोधपुर के राजा अभयसिंह को लकड़ी की आवश्यकता क्यों पड़ी? इसके लिए
उन्होंने क्या किया?
उत्तर- जोधपुर के राजा अभयसिंह ने अपना महल बनवाया। यह भादों का महीना था एवं शुक्ल
पक्ष की दशमी का दिन था। इसके निर्माण के लिए राजा अभयसिंह को लकड़ी की
आवश्यकता पड़ी। इसके लिए राजा अभयसिंह ने अपनी सेना के कुछ सैनिकों को लकड़ी
काटकर लाने का आदेश दिया। इस तरह राजा के सैनिक जोधपुर के पास खेजड़ली गाँव
पहुँचे। वहाँ वे पेड़ काटना चाहते थे। यह गाँव विश्नोइयों का था। विश्नोइयों ने
कहा, “हम परम्परा से वनों के रक्षक हैं। हमारे रहते पेड़ नहीं कट सकते।”
सैनिकों ने उनके विरोध की अनदेखी की। सैनिकों ने कुल्हाड़ी चला दी। अमृता देवी
विश्नोई नामक महिला पेड़ों से लिपट गई और कहती रही, “सिर साँटे पर रूख रहे तो
भी सस्तो जाण।” राजा की आज्ञा का पालन करना है, इस भाव से सैनिकों ने अमृता
देवी को काट डाला।
(ख) अमृता देवी वृक्षों की रक्षा और किस प्रकार से कर सकती थीं? सोचकर
लिखिए।
उत्तर- राजा के आदेश से उनके सैनिक पेड़ काटने के लिए खेजड़ली गाँव पहुँचे। राजा की
आज्ञा का पालन करना उन सैनिकों का धर्म हो गया था। अमृता देवी वृक्षों की रक्षा
के लिए उन्हें काटने से रोकने के लिए, सैनिकों से निवेदन कर सकती थीं तथा अपनी
बात को राजा के पास जाकर विरोध के रूप में कह सकती थीं और पेड़ों के न काटने के
लिए अपनी परम्परा को स्पष्ट रूप से बता सकती थीं।
(ग) अमृतादेवी का नारा इस पाठ में किस तरह सार्थक हुआ?
उत्तर- अमृता देवी का नारा, “सिर साँटे पर रूख रहे तो भी सस्तो जाण” सार्थक हो गया।
पेड़ों की आवश्यकता हम लोगों को है, पेड़ों को हमारी आवश्यकता नहीं है।
दिन-प्रतिदिन बढ़ते प्रदूषण से अपनी रक्षा के लिए हमें पेड़ लगाने होंगे और
उनकी रक्षा करनी होगी। अमृता देवी और तीन सौ बासठ शहीदों के बलिदान की स्मृति
में भारत सरकार प्रति वर्ष राष्ट्रीय पर्यावरण पुरस्कार देती है। मध्य प्रदेश
का वन विभाग प्रति वर्ष वन-संवर्द्धन एवं वन रक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय
कार्य करने वाली ग्राम पंचायत अथवा संस्था को शहीद अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार
और एक लाख रुपया नकद प्रदान करता है। मध्य प्रदेश सरकार शहीद अमृता देवी
विश्नोई के नाम पर दो व्यक्तिगत पुरस्कार भी देती है। पचास हजार रुपया नगद और
प्रशस्ति पत्र के पुरस्कार के रूप में वन सम्बर्द्धन और वन्य प्राणियों की
रक्षा में उत्कृष्ट कार्य करने वाले व्यक्ति को प्रतिवर्ष दिए जाते हैं।
(घ) राजा अभयसिंह ने पश्चाताप किस प्रकार किया?
उत्तर- जब जोधपुर के राजा अभयसिंह को विश्नोई समाज द्वारा किए गये बलिदान सम्बन्धी
भीषण घटना का समाचार मिला तो उन्हें बड़ा दुःख हुआ। वे स्वयं खेजड़ली गाँव आए।
अपनी सेना के द्वारा किए गये दुष्कृत्य के लिए क्षमा माँगी। उन्होंने ताम्रपत्र
जारी किया। उसमें राजाज्ञा जारी की गई कि विश्नोई – गाँवों में कोई पेड़ नहीं
काटेगा। यदि काटेगा तो राजदण्ड का भागी होगा। इस प्रकार राजा के द्वारा निर्णय
लिया गया और पश्चाताप किया गया।
(ङ) अमृता देवी व अन्य शहीदों से आपको क्या प्रेरणा मिलती है?
उत्तर- अमृता देवी व अन्य शहीदों से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें पर्यावरण की सुरक्षा
के लिए वृक्षों और वनों को पूर्ण सुरक्षा देनी चाहिए। उनके सम्वर्द्धन और विकास
में रुचि लेनी चाहिए। वन्य जीवों की सुरक्षा और उनकी प्रजातियों का विकास करना
चाहिए। प्रत्येक राज्य सरकार को वृक्षारोपण और वन सम्पदा के विकास और सुरक्षा
के लिए अपनी ओर से प्रोत्साहन पुरस्कार घोषित किये जाने चाहिए। ग्राम पंचायतों
को भी वृक्षों का आरोपण करने के अभियान चलाने चाहिए।
प्रश्न 4. सही विकल्प चुनिए-
(क) विश्नोई समाज के नियम मुख्यतः आधारित थे-
(अ) प्रकृति के पोषण पर
(आ) समाज की परम्परा पर
(इ) धर्म की मान्यता पर
(ई) जीव-जन्तुओं के प्रति करुणा पर,
(उ) इन सबके सम्मिलित प्रभाव वाली प्रथा पर।
(ख) म. प्र. सरकार किसके नाम पर दो व्यक्तिगत पुरस्कार देती है?
(अ) विश्नोई समाज
(आ) अमृता देवी विश्नोई
(इ) निहालचन्द विश्नोई
(ई) शहीदों।
(ग) वृक्ष का पर्यायवाची शब्द है-
(अ) काननं
(आ) तरु
(इ) गिरि
(ई) चक्षु
(घ) अमृता देवी के साथ शहीद विश्नोइयों की संख्या थी-
(अ) 362
(आ) 365
(इ) 363
(ई) 364
(ङ) श्री निहाल चन्द विश्नोई को भारत सरकार ने सम्मानित किया-
(अ) पद्मश्री से
(आ) शौर्य चक्र से
(इ) परमवीर चक्र से
(ई) वीर चक्र से।
उत्तर-
(क) (उ) इन सबके सम्मिलित प्रभावशाली प्रथा पर
(ख) (आ) अमृता देवी विश्नोई
(ग) (आ) तरु
(घ) (अ) 362
(ङ) (आ) शौर्य चक्र से
भाषा-अध्ययन
प्रश्न 1. नीचे लिखे शब्दों के विलोम शब्द उनके नीचे बनी वर्ग पहेली
(पाठ्यपुस्तक में) में दिए गए हैं। आप उन्हें खोजकर लिखिए
वाचाल, राजा, अपमानित, भक्षक, हर्ष, क्षम्य, हिंसा, हित, दुःखी, विरोध।
उत्तर-
शब्द
विलोम शब्द
वाचाल
मूक
राजा
रंक
अपमानित
सम्मानित
भक्षक
रक्षक
हर्ष
शोक
क्षम्य
अक्षम्य
हिंसा
अहिंसा
हित
अहित
दुःखी
सुखी
विरोध
समर्थन
प्रश्न 2. निम्नलिखित शब्दों के शुद्ध उच्चारण कीजिए और उन्हें वाक्यों में
प्रयोग कीजिए-
श्रद्धांजलि, संकल्प, शौर्यचक्र, प्रासंगिक, जम्भेश्वर।
उत्तर- विद्यार्थी उपर्युक्त शब्दों को ठीक-ठीक पढ़कर उनका शुद्ध उच्चारण करने का
अभ्यास करें।
वाक्यों में प्रयोग-
श्रद्धांजलि— महापुरुषों के नियमों का पालन करना ही उनके प्रति सच्ची
श्रद्धांजलि होती है।
संकल्प— हम देश की सेवा करने का संकल्प लेते हैं।
शौर्यचक्र— निहाल चन्द को मरणोपरान्त शौर्य चक्र से सम्मानित
किया।
प्रासंगिक— अमृता देवी का वृक्ष संरक्षण कार्यक्रम आज बहुत ही
प्रासंगिक है।
जम्भेश्वर— जम्भेश्वर भगवान ने प्रकृति के नियमों के पालन का आदेश
दिया।
प्रश्न 3. निम्नलिखित शब्दों की सन्धि विच्छेद कीजिए और सन्धि का प्रकार
लिखिए-
वृक्षारोपण, एकमेव, राजाज्ञा, मरणोपरान्त, वातावरण।
उत्तर-
शब्द | संधि विच्छेद | संधि का प्रकार |
---|---|---|
वृक्षारोपण | वृक्ष + आरोपण | स्वर संधि |
एकमेव | एकम् + एव | स्वर संधि |
राजाज्ञा | राजा + आज्ञा | स्वर संधि |
मरणोपरांत | मरण + उपरांत | स्वर संधि |
वातावरण | वात + आवरण | स्वर संधि |
प्रश्न 4. निम्नलिखित शब्दों का समास विग्रह कीजिए-
ताम्रपत्र, राजदण्ड, प्रतिवर्ष, ग्राम पंचायत, शौर्य चक्र।
उत्तर-
समास पद | समास विग्रह | समास का नाम |
---|---|---|
ताम्रपत्र | ताम्र का पत्र | तत्पुरुष |
राजदंड | राजा का दंड | तत्पुरुष |
प्रतिवर्ष | प्रत्येक वर्ष होने वाला | अव्ययीभाव |
ग्राम पंचायत | ग्राम की पंचायत | तत्पुरुष |
शौर्य चक्र | शौर्य का चक्र | तत्पुरुष |
प्रश्न 5. निम्नलिखित शब्दों में उपसर्ग पहचानकर लिखिए
गैर सैनिक, पर्यावरण, सम्मान, प्रशस्ति, प्रदूषण, संवर्द्धन।
उत्तर-
पूर्ण शब्द | उपसर्ग + शब्द |
---|---|
गैर सैनिक | गैर + सैनिक |
पर्यावरण | परि + आवरण |
सम्मान | सम् + मान |
प्रशस्ति | प्र + शस्ति |
प्रदूषण | प्र + दूषण |
संवर्द्धन | सम् + वर्द्धन |
प्रश्न 6. निम्नलिखित वाक्यों में उद्देश्य और विधेय छाँटकर लिखिए
(क) भगवान जम्भेश्वर द्वारा हरे-भरे वृक्षों को बनाए रखने की प्रेरणा दी गई
थी।
(ख) विश्नोई समाज ने वनों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है।
(ग) भारत शासन प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पुरस्कार देता है।
उत्तर-
उद्देश्य | विधेय |
---|---|
(क) भगवान जम्भेश्वर | द्वारा हरे-भरे वृक्षों को बनाएं रखने के लिए प्रेरणा दी गई थी। |
(ख) विश्नोई समाज | ने वनों की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया है। |
(ग) भारत शासन | प्रतिवर्ष राष्ट्रीय पुरुस्कार देता है। |
-:परीक्षोपयोगी गद्यांशों की व्याख्या:-
(1) इन दिनों वृक्षों की घटती संख्या और बिगड़ते पर्यावरण को देखकर समूचे
विश्व में पर्यावरण की रक्षा की चिन्ता की जा रही है। वृक्षों की अंधाधुन्ध
कटाई पर रोक लगाई जा रही है। वृक्षारोपण पर जोर दिया जा रहा है। आज से
सैकड़ों वर्ष पूर्व जब चारों ओर वन-ही-वन थे, भगवान जम्भेश्वर द्वारा हरे-भरे
वृक्षों की रक्षा करने की प्रेरणा देना सचमुच अद्भुत था। इन दिनों बिगड़ते
प्रदूषण को देखते हुए यह प्रेरणा बहुत प्रासंगिक है।
शब्दार्थ- घटती संख्या
=
कम होती संख्या; पर्यावरण = चारों ओर का वातावरण;
अंधाधुन्ध = बिना सोचे-विचारे; वृक्षारोपण = पेड़-पौधे लगाना;
प्रेरणा = उत्साहपूर्ण तीव्र इच्छा; अद्भुत = अनोखी;
बिगड़ते = खराब होते; प्रदूषण = बहुत तीव्रता से फैलते हुए दोष;
प्रासंगिक = उचित।
सन्दर्भ-
प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्य-पुस्तक ‘भाषा-भारती’ के पाठ ‘प्राण जाएँ पर वृक्ष
न जाए’ से अवतरित हैं।
प्रसंग- इसमें वृक्षों की अन्धाधुन्ध कटाई के दोष और पर्यावरण पर पड़ने वाले बुरे
प्रभाव को बताया है।
व्याख्या- आजकल लोगों द्वारा वृक्षों को काटा जा रहा है। इससे वृक्षों की संख्या में
बहुत कमी आ गई है। इसका सीधा प्रभाव यह हुआ है कि हमारे चारों ओर का वातावरण
खराब होता जा रहा है। इसके दोषपूर्ण प्रभाव को देखते हुए विद्वानों को इस बात
की चिन्ता लग गई है कि इस बिगड़ते वातावरण को किस तरह बचाया जाए। अत: विभिन्न
देशों की सरकारों में वृक्षों की बिना सोचे-विचारे की जा रही कटाई पर रोक लगाने
के लिए विचार किया जा रहा है। इसके अलावा नए वृक्ष लगाए जाने के “लिए लोगों को
प्रेरित किया जा रहा है। आज से सैकड़ों वर्ष पहले हमारे चारों ओर घने जंगल बड़ी
तादाद में थे। भगवान जम्भेश्वर का आज से लगभग पाँच सौ वर्ष पहले जन्म हुआ था।
उन्होंने लोगों को प्रेरित किया कि वे हरे-भरे वृक्षों की रक्षा करें और नये
पेड़-पौधे लगाएँ। इस तरह लोगों में उत्साह जागृत करना सभी के लिए एक अनोखी बात
थी। आज के पर्यावरण को चारों ओर से प्रदूषित किए जाने के प्रसंग में उनके
द्वारा दी गई प्रेरणा व उत्साह बहुत ही महत्वपूर्ण है।
(2) आज्ञा पालन विवेक के साथ करना है, इस बात का सैनिकों ने ध्यान नहीं रखा।
इस बलिदान को देखकर सैकड़ों विश्नोई नर नारी आगे आकर पेड़ों की रक्षा करने के
लिए पेड़ों से लिपट गए। पेड़ों को काटने से बचाने के लिए सभी अपना सिर कटवाने
को तैयार थे। पेड़ों की रक्षा के लिए आत्म-बलिदान के लिए तत्पर विश्नोई
नर-नारी “सिर साँटे पर रूख रहे” का नारा लगा रहे थे। सेना कुल्हाड़ी चलाती
रही। एक-एक करके 362 विश्नोई नर-नारी स्वयं कट गए, परन्तु उन्होंने एक भी
पेड़ नहीं कटने दिया।
शब्दार्थ- विवेक =
अच्छी तरह विचार करके; आज्ञा पालन = आदेश का मानना;
बलिदान = त्याग; नर-नारी = पुरुष और स्त्री;
रक्षा = बचाव; आत्मबलिदान = अपने जीवन का त्याग;
तत्पर = तैयार; साँटे = कट जाए; रूख = वृक्ष।
सन्दर्भ-
पूर्व की तरह।
प्रसंग-
पेड़ों की रक्षा में विश्नाई समाज ने अपना बलिदान दिया; इस महान त्याग के विषय
में बताया जा रहा है।
व्याख्या-
जोधपुर के राजा अभयसिंह ने अपने सैनिकों को अपने महल के निर्माण के लिए खेजड़ली
गाँव में जाकर पेड़ों को काटने के लिए आदेश दिया। उस गाँव के विश्नोई समाज के
लोगों ने उन सैनिकों को पेड़ काटने से रोक दिया। सैनिक राजा की आज्ञा पालन करना
ही उचित समझते रहे। उनके द्वारा राजा की आज्ञा का पालन सोच-विचार करके ही करना
चाहिए था, लेकिन सैनिकों ने इस बात का ध्यान नहीं रखा। विश्नोई समाज के सैकड़ों
लोग पेड़ों को कटने से बचाने के लिए आये और पेड़ों से लिपट गये। वे सभी अपने
सिर कटवाने को तैयार थे परन्तु पेड़ नहीं कटने चाहिए। वे पेड़ों को काटे जाने
से रोकने के लिए अपना बलिदान देने को तैयार थे। उन्होंने कहा था कि चाहे हमारे
सिर कट जाएँ, पर वृक्षों को काटने से रोका जाए। उनकी रक्षा की जानी चाहिए। उनका
यही नारा था। सेना अपनी कुल्हाड़ी चला रही थी। उधर एक-एक करके तीन सौ बासठ
विश्नोई समाज के स्त्री-पुरुष अपने आप कट गए। उन्होंने इस तरह एक भी वृक्ष नहीं
कटने दिया।
(3) स्मरण रहे, हमें पेड़ों की जरूरत है, पेड़ों को हमारी जरूरत नहीं है।
वातावरण में दिन-प्रतिदिन बढ़ते प्रदूषण से बचने के लिए हमें पेड़ों की रक्षा
करनी ही होगी तथा और पेड़ लगाने होंगे। वृक्ष रक्षा तथा जीवन रक्षा का संकल्प
एवं नया वृक्षारोपण कार्य ही वृक्षों की रक्षा में शहीद हुए विश्नोइयों को
हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
शब्दार्थ- स्मरण रहे =
याद रखना होगा; जरूरत = आवश्यकता; दिन-प्रतिदिन = रोजाना;
प्रदूषण = बड़ी मात्रा में दोष; बचाने के लिए = रक्षा के लिए;
और दूसरे लगाने होंगे = रोपने होंगे; संकल्प = प्रतिज्ञा, प्रण;
वृक्षारोपण कार्य = वृक्ष लागने का काम; शहीद हुए = अपनी बलि
देने वाले।
सन्दर्भ-
पूर्व की तरह।
प्रसंग- बलिदान करने वाले विश्नोइयों को श्रद्धांजलि देने के लिए हमें वृक्ष लगाने
होंगे तथा वन के जीवों की रक्षा करनी -होगी।
व्याख्या-
हमें यह याद रखना होगा कि हमारी आवश्यकता है कि पेड़ रहें। पेड़ों को हमारी कोई
आवश्यकता नहीं है। हमारे चारों ओर के वातावरण में रोजाना प्रदूषण बढ़ रहा है।
हमें अपनी रक्षा करनी है, तो हमें पेड़ों की रक्षा करनी होगी। क्योंकि प्रदूषण
से हम अनेक तरह के रोगों से ग्रस्त हो जायेंगे। इसके लिए हमें पेड़ लगाने
होंगे। वन के जीवों की रक्षा करने से और नये पेड़-पौधे लगाने से ही हम बलिदानी
विश्नोइयों को सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
~ लेखकगण
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